Durga Puja 2025: Significance of Offering Dahi Chuda on the Tenth Day

दुर्गा पूजा का दसवाँ दिन: दही चूड़ा चढ़ाने का महत्व

Durga Puja 2025: Significance of Offering Dahi Chuda on the Tenth Day

Durga Puja 2025: Significance of Offering Dahi Chuda on the Tenth Day

दुर्गा पूजा का दसवाँ दिन: दही चूड़ा चढ़ाने का महत्व

नवरात्रि का दसवाँ दिन, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, नौ दिनों की पूजा के बाद माँ दुर्गा के विदाई का दिन होता है। नवरात्रि के दौरान, भक्त माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं, प्रार्थना करते हैं और प्रसाद चढ़ाकर आशीर्वाद मांगते हैं। इस अंतिम दिन, माँ दुर्गा को एक खास प्रसाद - दही चूड़ा (दही और चिवड़ा) चढ़ाया जाता है, जिसका धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों तरह का महत्व है।

विशेषज्ञों के अनुसार, दही चूड़ा माँ दुर्गा की विदाई के समय चढ़ाया जाने वाला एक ठंडा और शुभ प्रसाद माना जाता है। पूर्णिया के पंडित मनोत्पल झा बताते हैं कि जहाँ दही शुभता का प्रतीक है, वहीं चूड़े के साथ इसे चढ़ाने का रिवाज भी परंपरा से जुड़ा है। कई महिलाएं माँ दुर्गा को अपनी बेटी मानती हैं, और दही चूड़ा चढ़ाना बेटी के मायके से विदा होने के समय के भावुक माहौल को दर्शाता है।

धार्मिक ग्रंथों में भी लिखा है कि यात्रा के दौरान दही खाना बहुत शुभ माना जाता है। वैज्ञानिक रूप से, दही पाचन के लिए अच्छा होता है और शरीर को ठंडक देता है, इसलिए यह इस दिन के लिए एक उपयुक्त प्रसाद है। आस्था, परंपरा और व्यावहारिक लाभ का यह मेल ही है, जिसने इस रिवाज को कई पीढ़ियों तक विभिन्न क्षेत्रों में बनाए रखा है।

दसवें दिन दही चूड़ा चढ़ाकर, भक्त न केवल एक पुरानी परंपरा को निभाते हैं, बल्कि दुर्गा पूजा से जुड़ी सम्मान, भक्ति और सांस्कृतिक निरंतरता की भावना को भी बनाए रखते हैं।